एक मरेगा,सौ जगेंद्र पैदा होगे,कितने पत्रकार मारोंगे सत्ताधारी गुंडो ?

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कुछ चंद अफसरों ने हिम्मत दिखाई तो भेज दिए गए तड़ीपार। छोटे जिलों में सच का साथ देने पर पत्रकारों का हश्र सिर्फ जागेंद्र जैसा ही हो रहा है। एक पत्रकार बार बार लिख रहा है कि उसका मर्डर कराने की कोशिशे हो रही हैं, मतलब जब सत्ता के गुंडे उसको खरीद न सके, साम दाम दंड भेद समेत सारी नीति विफल हो गयी तो फर्जी मुकदमे दर्ज करवा दिए। बलात्कार पीडि़ताओं को थाने से भगाने वाली पुलिस ऐसे फर्जी मुकदमो को जितनी तेजी से दर्ज करती है, उतनी ही तेजी से गिरफ्तारी भी करने पहुँच जाती है।

पत्रकार की मौत के मामले में सिर्फ राम मूर्ति ही नहीं जिम्मेदार हैं, बल्कि डीएम, एसपी से लेकर डीजीपी तक बराबर के भागीदार हैं क्योंकिं अगर समय रहते बार बार चीख रहे और अपनी जान बचाने की गुहार लगा रहे जागेंद्र की सुनवाई होती तो आज न उसकी पत्नी बेवा होतीं और न उसके बच्चे अनाथ। आज पूरे प्रदेश को खनन माफिया से लेकर भूमाफिया तक को बेच दिया गया है। बतौर पत्रकार मैं भी लगातार भ्रष्ट अफसरों और नेताओं के बारे में बेबाकी से लिख रहा हूँ आने वाले समय में मेरा हश्र भी जागेंद्र जैसा हो तो कोई अतिशयोक्ति न होगी। बस एकलौता बेटा होने के नाते मेरे माँ बाप जरूर अपने बुढ़ापे का सहारा खो देंगे। कुछ दिन तक हल्ला होगा उसके बाद शांत नदी की तरह सब गुजरे जमाने की बातें।। आरोपी भी बाहर।।

सत्ता का कवच पहने इन ताकतों के आगे अगर सभी पत्रकार अपनी मौत के डर से घुटने टेक देंगे तो पत्रकारिता को लोकतंत्र का चैथा स्तम्भ कौन कहेगा। फिर तो पत्रकारिता से अच्छा दलाल ही बनना बेहतर रहेगा। सत्ता के इन गुंडों से एक बात कहना चाहता हूँ कि किसी को भी मार देना भले आज के समय में आपके लिए महज छोटी बात हो पर जागेंद्र की मौत ने कम से कम मेरे अंदर तो ऐसी अलख जगाई है कि अब ऐसे सौ सत्ताधारी गुंडे भी आ जाएं तो निर्भीकता से ऐसी खबर लिखना जारी रखूँग, जिससे इनका असली चेहरा बेनकाब हो जाए। जागेंद्र के लिए एक पत्रकार के तौर पर मेरी श्रद्धांजलि यही होगी। बस ये सोचकर आँखों में आंसू आ जाते है कि अब जागेंद्र के बच्चों और उनकी पत्नी का भरण पोषण कैसे होगा। आर्थिक सहायता भी क्या उनके दुखों को कम कर पाएगी।

पत्रकारों के नाम पर बड़ी बड़ी यूनियनें चलाने वालों से करबद्ध प्रार्थना है कि कुछ ऐसा कीजिये कि जब भी कोई दूसरा जागेंद्र व्यवस्था के खिलाफ लड़ता हुआ अपने जीवन से हार जाए तो उसके परिवार के लिए हम सब जागेंद्र बन जाए और अंत में मुख्यमंत्री अखिलेश से भी गुजारिश है कि हम सब पत्रकारों का काम सच लिखना है आप अच्छा काम करेंगे तो सराहना होगी और नियमों के इतर काम करेंगे तो खुलासे भी होंगे पर अपने इन राममूर्ति जैसे सत्ताधारी गुंडों से कह दीजिये या तो सारे पत्रकारों को गोलियों से भून दें या फिर सच को सुनने और पढ़ने का संयम रखें वरना अगर एक जागेंद्र को मारा जाएगा तो मेरे जैसे सौ जागेंद्र पैदा होगें और पूरी सत्ता में ताबूत की कीलें ठोंक देंगे।अखिलेश जी आपके कहने पर ही मुकदमा दर्ज हुआ है ये हम सब जानते है पर राम मूर्ति जैसे सफेदपोश ही अगर मंत्री बनेगे तो एक युवा मुख्यमंत्री की ओर से आपके उत्तम प्रदेश को क्या सन्देश जाएगा ।।इस पर भी विचार कीजियेगा क्योंकि खुद आपके पूज्य लोहिया जी ने ही कहा था कि जनता कभी पांच साल इंतजार नहीं करती।।जागेंद्र हमे माफ कीजियेगा कि सिर्फ सच लिखने वाले एक पत्रकार के लिए हम सब न कुछ कर पाये न ही बचा पाये।

लेखक एवं ‘निष्पक्ष प्रतिदिन’ के लखनऊ ब्यूरो चीफ मनीष श्रीवास्तव 

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