रायपुर।रायपूर ः पत्रकार संरक्षण कायदयासाठी प्रदीर्घ लढा देत महाराष्ट्रातील पत्रकारांनी हा लढा जिंकला.दोन्ही सभागृहात कायदा संमत झाला..अजून त्याची अंमलबजावणी होत नसली तरी देशातील अन्य राज्यातील पत्रकार आता एकत्र येत पत्रकार संरक्षण कायद्याची मागणी करू लागले आहेत.मध्यंतरी मध्यप्रदेशमधील पत्रकार भोपाळमध्ये एकत्र झाले आणि त्यांनी जोरदार आंदोलन केलं.आता झारखंडच्या पत्रकारांनी एकत्र येत कायद्यासाठीचा एल्गार पुकारला आहे.विशेष म्हणजे ज्या पध्दतीनं महाराष्ट्रातील विविध पत्रकार संघटनांनी आपसातील मतभेद बाजुला ठेवत ही लढाई जिंकली त्याच धर्तीवर झारखंडमध्येही कायद्याच्या मागणीसाठी विविध पत्रकार संघटना एकत्र आल्या आहेत आणि त्यांना अजित जोगी यांच्यासह विविध पक्षांच्या नेत्यांनी पाठिंबा दिला आहे.–

पत्रकार सुरक्षा कानून की मांग को लेक

र प्रदेश भर से राजधानी रायपुर पहुचे पत्रकारों 

ने मोतीबाग में धरना दिया और राष्ट्रपति के नाम प्रति राज्यपा

ल ज्ञापन सौंपा जिसे एडीएम श्रीवास्तव ने धरनास्थल पर पहुचकर लिया। धरना में शामिल होने के लिए प्रदेश के पांचों संभाग से पत्रकार आए थे। सुबह 11 बजे

से शाम 4 बजे तक आयोजित धरने को वरिष्ठ पत्रकार गोपाल वोरा के देहांत की वजह से जल्द समापन कर दिया गया। धरना के पहले उपस्थित जनसमूह ने मृतात्मा की श्रद्धांजलि देने के लिए दो मिनट का मौन रखा।

 

धरना स्थल पहुचकर समर्थन देने वालो में विभिन्न संगठनों के पदाधिकारियों के साथ विभिन्न सामाजिक और राजनीतिक लोग शामिल थे। छत्तीसगढ़ के प्रथम मुख्यमंत्री अजीत जोगी, वित्त आयोग के पूर्व अध्यक्ष रहे वीरेंद्र पांडेय, आम आदमी पार्टी के प्रदेश संयोजक संकेत ठाकुर, समाजसेविका ममता शर्मा, आरटीआई एक्टिविस्ट कुणाल शुक्ला ने भी पत्रकार सुरक्षा कानून की मांग का समर्थन किया और इस कानून को आज के चुनौतीपूर्ण माहौल के लिए अति आवश्यक बताया।

 धरना में विभिन्न पत्रकार संगठनों के पदाधिकारियों में प्रमुख रूप से गोविंद शर्मा प्रदेश अध्यक्ष अभा पत्रकार सुरक्षा समिति, छग सक्रिय पत्रकार संघ से राज गोस्वामी, दक्षिण बस्तर पत्रकार संघ के अध्यक्ष बप्पी राय, जर्नलिस्ट यूनियन छत्तीसगढ़ से शंकर पांडेय, छग पत्रकार कल्याण संघ से हरजीत सिंह पप्पू के अलावा रायपुर प्रेस क्लब के अध्यक्ष कृष्ण कुमार शर्मा आदि शामिल हुए। इनके अतिरिक्त वरिष्ठ पत्रकारों में कमल शुक्ला, राजकुमार सोनी, संदीप पौराणिक, शुभ्रांशु चौधरी, रुचिर गर्ग भी धरना स्थल पहुचे थे।

धरना में शामिल सभी पत्रकारों ने पत्रकार सुरक्षा कानून को छत्तीसगढ़ में जल्द से जल्द लागू किए जाने की मांग की। साथ ही पत्रकारों पर दर्ज प्रकरणों में जल्द न्याय संगत फैसला कर दर्ज फर्जी प्रकरणों को वापिस लेने की मांग की है। साथ ही कमल शुक्ला पर राजद्रोह के मामले को वापस लेकर पत्रकारों पर द्वेष पूर्ण पुलिस कार्रवाई पर अंकुश लगाने, पत्रकारों पर एफआईआर के पूर्व बड़े अधिकारियों से जांच और समन्वय समिति की अनुशंसा पश्चात निर्णय लेने की मांग की है ताकि बेवजह पत्रकारों को परेशान प्रताड़ित करने के फर्जी मामलों पर अंकुश लगे। यह होगा तभी पत्रकार निर्भीकता से समाचार संकलन और प्रकाशन, प्रसारण कर सकेंगे।

धरना में उपस्थित पत्रकारों की संख्या और आक्रोश को देखते हुए पत्रकारों की मांगों पर शासन को शीघ्र सकारात्मक निर्णय लेना उचित प्रतीत होता है क्योंकि शामिल सभी पत्रकारों ने पत्रकार सुरक्षा कानून को अनिवार्य बताया। साथ ही जल्द से जल्द लागू नहीं किये जाने की दशा में आंदोलन के विस्तार की बात कही है। उल्लेखनीय है कि यह पहला मौका है जिसमें प्रदेश भर से विभिन्न संगठनों और स्वतंत्र पत्रकारिता करने वाले पत्रकार सर्वाधिक संख्या में एक मंच में साथ आकर अपनी मांग आंदोलन के माध्यम से शासन के समक्ष रख जल्द से जल्द पत्रकार सुरक्षा कानून लागू करने की मांग की है। अब देखना होगा कि सरकार पत्रकारों के मांगो पर गम्भीरतापूर्वक सार्थक निर्णय लेती है अथवा ढुलमुल रवैया अपनाती है।

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